

आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग के मुख्य कैंपस सभागार में सोमवार को चौथे समर्थ भारत कॉन्क्लेव 2025 के अंतर्गत एक दिवसीय राज्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़े लघु उद्यमियों को वित्तीय समावेशन, कौशल विकास तथा सामाजिक उद्यमिता के उभरते अवसरों की जानकारी देना और उन्हें सशक्त बनाना था।
बता दें कि यह सम्मेलन आईसेक्ट द्वारा 2 मई से 5 जून तक 15 राज्यों के 16 शहरों में आयोजित किए जा रहे राज्य सम्मेलनों की श्रृंखला का हिस्सा है।
आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, प्रति कुलपति डॉ गौरव शुक्ला, आईसेक्ट ग्रूप के बिहार एवं झारखंड हेड अम्ब्रीश कुमार, आईसेक्ट के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट अरविंद चतुर्वेदी, जनरल मैनेजर अभिषेक गुप्ता, सीवीआरयू वैशाली के कुलसचिव डॉ ब्रजेश सिंह सहित अन्य के हाथों दीप प्रज्ज्वलित कर एवं सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
इस मौके पर आईसेक्ट की 40 वर्षों की यात्रा आईसेक्ट के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट अरविंद चतुर्वेदी ने डॉक्युमेंट्री फिल्म के जरिए पेश की।
कार्यक्रम में शरीक बतौर खास मेहमान आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नायक ने कहा कि कौशल विकास और सामाजिक उद्यमिता देश में समावेशी विकास प्राप्त करने के दो मजबूत स्तंभ हैं। आज के युग में स्वरोजगार की संभावनाओं को पहचानकर ही हम आर्थिक प्रगति की नई राहें खोल सकते हैं। वहीं आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने उद्यमियों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें इन उभरते क्षेत्रों में सजगता और सक्रिय भागीदारी दिखानी चाहिए।
दोपहर के ज्ञान सत्र में नीरज सतपुड़े, शशि भूषण द्विवेदी, आईसेक्ट जीएम अभिषेक गुप्ता, केतन श्रोत्रिय और प्रशांत बेसरा ने वित्तीय समावेशन, सीएसआर/सरकारी योजनाएं, बी.वॉक कार्यक्रम, प्लेसमेंट और अप्रेंटिसशिप से जुड़े अवसरों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इसके अतिरिक्त आईसेक्ट के नए उत्पादों और सेवाओं जैसे एनिमेशन के लिए आईसेक्ट अकादमी, एनसीएसडीई, एनईपी-एलईएपी, आईसेक्ट लर्न पोर्टल, रमन ग्रीन उत्पाद, बालशाली पाइप्स आदि पर कार्य करने के अवसरों पर भी चर्चा की गई। इसके बाद सहायक प्रबंधक अरुण शुक्ला द्वारा ब्रैनी बेयर फ्रैंचाइज़ी पर विशेष सत्र लिया गया, जिसमें बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा क्षेत्र में उद्यम के अवसरों को रेखांकित किया गया। आईसेक्ट विश्वविद्यालय के साथ कार्य के अवसरों की संभावनाओं को लेकर डिप्टी रजिस्ट्रार विजय कुमार व सहायक कुलसचिव चांदनी कुमारी ने विस्तृत जानकारी प्रदान की।
सम्मेलन के अंतिम सत्रों में प्रभाकर सिन्हा, अनिल रावत, कुलदीप पटनाकर, सोनू कुमार सहित वक्ताओं ने जीटूसी/बीटूसी सेवाएं, बीमा, प्रकाशन और फास्टैग जैसे क्षेत्रों में भागीदारी की संभावनाओं पर चर्चा की।
समापन सत्र में अरविंद चतुर्वेदी और अम्बरीश कुमार ने सभी उद्यमियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह सम्मेलन न केवल जानकारी देने का मंच है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सक्रिय भागीदारी की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
सम्मेलन के अंत में एसकेपी श्रेणी में उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार वितरित किए गए। दरअसल यह आयोजन स्थानीय उद्यमियों को सशक्त करने की दिशा में एक सार्थक पहल के रूप में याद किया जाएगा।
बताते चलें कि इस मौके पर बिग कंट्री लिटिल बिजनेस” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। साथ ही वित्तीय समावेशन पर केंद्रित फिल्म और यूनिसेफ से जुड़ी परियोजना रिपोर्ट का भी विमोचन हुआ।
मंच संचालन तौहीद आलम व परितोष पाण्डेय ने किया।

