रिसाली दशहरा मैदान में चल रहे भगवत प्रवचन करता सुश्री गोपिकेश्वरी देवी ने कहा

पत्रकार सुरेन्द्र शर्मा की खबरें

भिलाई नगर। रिसाली दशहरा मैदान रिसाली सेक्टर में चल रहे दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन के पांचवे दिन सुप्रसिद्ध भागवत प्रवचनकर्ता सुश्री गोपिकेश्वरी देवी ने संसार के स्वरूप के बारे में बताया कि दो प्रकार का संसार होता है एक सत्य संसार और एक मिथ्या संसार। बाहर का संसार भगवान का बनाया हुआ ये पंचभौतिक जगत् सत्य संसार कहलाता है और हमारे विचारों का हमारी इच्छाओं का संसार मिथ्या संसार कहलाता है। और इन दोनों संसार की जननी माया है और ये माया तीन गुण की होती है सात्विक, राजसिक, तामसिक। उन्होंने कहा कि इसी माया के तीन गुणों के कारण इस संसार में किसी की किसी के साथ नहीं पटती, कोई किसी के अनुकूल नहीं होता कोई किसी के सुख के लिए कुछ नहीं करता, कोई किसी को अच्छा नहीं कह सकता क्योंकि समस्त मायाबद्ध जीवों के अंदर माया के ये तीन गुण रहते हैं और ये तीन गुण सदा बदलते रहते हैं। इसीलिए संसार में कभी किसी से आशा नहीं करना चाहिए क्योंकि आशा करना ही समस्त दुखों का कारण है। और आगे उन्होंने विस्तार से बताया कि संसार में न सुख है, ना ही दुख है अपना ही माना हुआ सुख या दुख हमें संसार में मिलता है। जिस दिन जीव ये मान लेगा कि हमारा सुख संसार में नहीं है भगवान में है। बस उसी दिन संसार से मन से वैराग्य हो जायेगा और जीव भगवान की सही-सही शरणागति कर लेगा और अपना कल्याण कर लेगा। अब आगे भगवान को प्राप्त कैसे किया जाए? क्योंकि आज संसार में सैकड़ों मार्ग चल रहे हैं भगवान को प्राप्त करने के। तो साधारण सा जीव कैसे जाने कि कौन सा मार्ग सही है? तो इसका समाधान अब अगले प्रवचन में किया जाएगा कि क्यों इतने मार्ग आज भगवान को पाने के संसार में चल रहे हैं। आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।

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