समकालीन साहित्य सृजन 2024 का लेखा जोखा मुख्यधारा के साहित्य में रायगढ़ के लेखकों का कैसा रहा योगदान

“साल 2024 रचनात्मक साहित्य सृजन के लिए कैसा रहा?” अगर यह सवाल राष्ट्रीय परिदृश्य को लेकर पूछा जाए और उसमें रायगढ़ शहर के योगदान को लेकर आकलन हो तो कई उल्लेखनीय बातें उभरकर सामने आती हैं। राष्ट्रीय परिदृश्य में 2024 भी रचनात्मक साहित्य सृजन के लिए एक यादगार वर्ष रहा। इस वर्ष कई महत्वपूर्ण किताबों का प्रकाशन हुआ।

रायगढ़ शहर से जुड़े वरिष्ठ एवं बाद की पीढ़ी में शामिल लेखकों के रचनात्मक योगदानों का आकलन यहां स्थानीयता के संदर्भ में कतई नहीं है बल्कि उसकी चर्चा यहां राष्ट्रीय संदर्भ में उनके योगदानों को लेकर है।

प्रभात त्रिपाठी रायगढ़ शहर से जुड़ा एक ऐसा सम्मानित नाम है जिसका जिक्र आते ही साहित्यिक दुनिया के केनवास पर रायगढ़ शहर अलग से चिन्हित होता है। कवि आलोचक प्रभात त्रिपाठी का कविता संग्रह ‘अकस्मात के आगोश में’ साल 2024 में जब सेतु प्रकाशन से प्रकाशित होकर आया तो देश के साहित्यिक पाठकों , लेखकों में उसकी बड़ी चर्चा हुई। सोशल मीडिया में इस संग्रह की कविताओं को लेकर बड़ी उत्सुकता भी देखी गयी। उम्र के आठवें दशक में पहुंचकर भी प्रभात त्रिपाठी की रचनात्मक ऊर्जा जिस तरह गतिमान है वह बाद की पीढ़ी के लेखकों के लिए अनुगमन योग्य है। वे आज भी बेहतर रच रहे हैं और अपनी रचनाशीलता से बाद की पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।

रमेश शर्मा , रायगढ़ शहर से जुड़ा एक अन्य सुपरिचित नाम है जिनकी कहानियां, कविताएँ एवं समीक्षाएँ वर्ष 2024 में विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं वागर्थ,परिकथा,विभोम स्वर,किस्सा कोताह, शिवना साहित्यिकी इत्यादि में प्रकाशित होती रहीं।
न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन नई दिल्ली से उनकी कहानियों का एक संग्रह “पैबंद लगी कमीज” भी 2024 में प्रकाशित होकर आया जिसकी चर्चा सोशल मीडिया के डिजिटल फोरम पर लेखकों और पाठकों के बीच सतत रूप से बनी रही। जनवरी 2024 में प्रकाशित परिकथा पत्रिका के विशेषांक ‘नई सदी नई कलम’ में अखिल भारतीय स्तर पर चुने हुए 13 कथाकारों पर चर्चा हुई जिनमें रमेश शर्मा के व्यक्तित्व एवं रचनात्मक लेखन पर जगदलपुर के वरिष्ठ कथाकार आलोचक उर्मिला आचार्य ने एक लंबा लेख लिखा । इस ऐतिहासिक अंक की चर्चा वर्ष भर बनी रही।

रायगढ़ से जुड़े रचनाकार संजय मनहरण सिंह कविता, कहानी एवं उपन्यास लेखन के लिए 2024 में चर्चा में रहे।2024 में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उनका उपन्यास ‘ख्वाब सा कुछ’ एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। तद्भव पत्रिका में प्रकाशित उनकी कहानी ‘सपनों के बारे में बात करते हुए’ को लेकर भी वे अधिक चर्चा में आए। अपनी कविताओं के लिए भी वे चर्चित रहे।

रायगढ़ के कवि कथाकार बसंत राघव को साल 2024 में जब कथादेश पत्रिका द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता में छठवां स्थान मिला तो रायगढ़ शहर का नाम चर्चा में बना रहा। बसंत राघव की कहानी किस्सा कोताह, विश्व गाथा, शुभदा रचना वार्षिकी, उजाला इत्यादि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। उनकी लघुकथाएँ भी विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में वर्ष भर प्रकाशित होती रहीं। उनके संपादन में ‘अपने अपने देवधर’ नाम से एक किताब का प्रकाशन हुआ जो सराहा गया।

रायगढ़ के लिए साल 2024 में उत्साहजनक बात यह भी रही कि यहां से जुड़ी युवापीढ़ी की कथा लेखिका डॉ परिधि शर्मा को शिवना नवलेखन पुरस्कार 2024 अंतर्गत अनुशंसित सम्मान मिला। सम्मान अंतर्गत उनकी कहानियों की पांडुलिपि ‘प्रेम के देश में’ का चयन पुस्तक प्रकाशन हेतु किया गया। इस किताब का विमोचन दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में शिवना प्रकाशन के स्टॉल पर फरवरी 2025 में किया जाएगा। परिधि की एक कहानी ‘मनीराम की किस्सागोई’ 2024 में परिकथा पत्रिका में प्रकाशित हुई। उनकी दो कहानियाँ वागर्थ एवं निकट जैसी साहित्य की चर्चित पत्रिकाओं में भी जनवरी 2025 के अंक में आ रही हैं जिनकी घोषणा 2024 में ही हुई । परिधि शर्मा रज़ा फाउंडेशन के ‘युवा 2024’ कार्यक्रम में भी आमंत्रित की गईं जहां उन्होंने श्रीकांत वर्मा की कविताओं पर केंद्रित अपना वक्तब्य प्रस्तुत किया। यह आयोजन दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हुआ था जहां देश भर के प्रमुख साहित्यकार उपस्थित थे। रायगढ़ शहर की युवापीढ़ी के किसी लेखिका के इस तरह चर्चा में आने से भी यह शहर रचनात्मक रूप से परिदृश्य में आगे बना रहा।

देश स्तर पर साहित्य सृजन का जो एक बड़ा भूगोल है, रचनात्मक सृजन के उस बड़े हिस्से में रायगढ़ का नाम दर्ज होता रहा है, उस क्रम में साल 2024 भी उल्लेखनीय रहा। साल 2024 की ये समूची घटनाएं शहर के लिए संतोषजनक कही जा सकती हैं।

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