स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पं. शम्भूदयाल जी शुक्ल पूर्व अध्यक्ष-सचिव को उनकी जयंती पर सादर स्मरण किया कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज रायपुर ने*

रायपुर। कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज अपने गौरवशाली इतिहास में प्रमुख रूप से योगदान देने वाले पूर्व अध्यक्षों को उनकी जयंती के अवसर पर सादर स्मरण करने का कार्य कर रही है। 26 फरवरी 2023 को आशीर्वाद भवन रायपुर में *स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पं. शम्भूदयाल जी  शुक्ल (कान्यकुब्ज सभा-शिक्षा मंडल- कार्यकाल-अध्यक्ष-सचिव 1943 से 1964 तक) की जयंती पर उन्हें सादर स्मरण* किया गया। इस अवसर पर पं. शम्भूदयाल शुक्ल जी के परिवार के सदस्यगण काफी संख्या में उपस्थित रहे एवं सभा शिक्षा मंडल के अध्यक्ष, सचिव, पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित रहे। गरिमामय कार्यक्रम में पं. शम्भूदयाल शुक्ल परिवार के वरिष्ठजनों के साथ-साथ सभी परिवार एवं समाज के सदस्यों ने माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर सादर स्मरण किया।
*इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष पं. अरुण शुक्ल ने* अपने उद्बोधन में बताया कि पूर्व अध्यक्षों को उनके योगदान के लिए सादर स्मरण करने का यह कार्यक्रम हमने प्रारंभ किया है। इससे युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों के सामाजिक सेवा में किये कार्यों की जानकारी रहें एवं ये प्रेरणा भी मिले की समाज से जुड़े रहना चाहिए। अध्यक्ष अरूण शुक्ल जी ने आशीर्वाद भवन स्थित कार्यालय कक्ष को स्व. शम्भूदयाल शुक्ल जी के नाम से किये जाने की घोषणा भी की ।
*सचिव पं.सुरेश मिश्र जी ने* शम्भूदयाल शुक्ल जी के योगदान एवं उनके संस्मरण को बताते हुए कहा कि समाज के सभी अध्यक्षों की फोटो आशीर्वाद भवन बड़े हाल मे लगेगी ताकि भवन मे आने वाले लोग भी पूर्वजों को पहचान सके। 1986 से शुक्ला कालोनी रविनगर में पूज्य शम्भू बाबाजी का सानिध्य लाभ व आशीर्वाद मिलता रहा। उनकी 100 वीं जयंती पर मुझे सम्मिलित होने  का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
*शम्भूदयाल शुक्ल के भतीजे पं. राजेश कुमार शुक्ल ने* बचपन की यादें साझा कि और शुक्ल जी के ब्राह्मण समाज के लिए एवं धार्मिक स्थलों के उन्नयन के लिए किये गए सेवा कार्यों को याद किया।
*पं. राजकुमार शुक्ल (डी.आई.जी. जेल रिटा.) ने* कहा शम्भूदयाल शुक्ल जी के किये हर कार्य से हमें सीख लेना चाहिए एवं अनुसरण करना चाहिए हमें उन पर गर्व है।    
*सहसचिव पं.रज्जन अग्निहोत्री ने* अपनी स्मृति में बताया कि बचपन के कुछ वर्ष उनके गोद में बिताया। उनका स्नेह प्यार सदा हमारे परिवार के साथ रहा।  
*पौत्र पं. प्रशांत शुक्ल ने* भी परिवार की एकता और परिवार में सामंजस्य बनाए रखने के उनके विशेष गुण को वे अपने पिता जी के मुख से सुनते थे। उनका व्यक्तित्व बहुत प्रेरक और प्रभावशाली था।
*पं. शम्भूदयाल शुक्ल जी के साथ सचिव रहे पं. सूरजबली तिवारी के पौत्र पं.रमेश तिवारी ने* बताया कि हमारे दादा, पं. शम्भूदयाल जी शुक्ल के साथ सदस्य एवं सचिव के रूप में हमेशा साथ में रहते थे और समाज के हित में सदैव सेवा कार्य करते रहते थे।
*कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ सदस्य पं.विमल शुक्ल ने* समाज के इस आयोजन की सराहना कि और सभी सदस्यों से प्रार्थना कि आने वाले समय में भी हमारे अन्य महापुरुषों को भी इसी तरह आयोजन के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाए।
*उसके बाद वरिष्ठ सदस्य पं. अनुराग शुक्ल ने* अपने दादाजी स्व. शम्भूदयाल शुक्ल जी के पूरे जीवन पर प्रकाश डाला एवं यह बताया कि जो भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जब जेल जाते थे तब उनके परिवार को राशन एवं अन्य आवश्यक सामग्री की पूर्ति पं. शम्भूदयाल शुक्ल जी किया करते थे। अपने चाचा स्व. रविशंकर शुक्ल के बार-बार स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने एवं जेल जाने के कारण पूरे परिवार के दायित्व का निर्वाह स्व. शम्भूदयाल शुक्ल किया करते थे। बहुत सी ऐसी बातों से समाज को अवगत कराया जिससे हम लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। *समाज के उपाध्यक्ष पं. राघवेन्द्र मिश्र ने* अपने उद्बोधन में बताया कि जैसे संस्कार पूर्व पदाधिकारियों से हमें मिले हैं हम उन्हीं के पद चिह्नों पर चलते हुए समाज को नई ऊँचाई पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्व अध्यक्षों के  योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
*कार्यकारिणी सदस्य पं. अजय अवस्थी ने* कहा कि 100 साल से ज्यादा पुराने कान्यकुब्ज समाज के अध्यक्षों के विशेष योगदान के कारण समाज की विशेष पहचान बनी। अब तक के अध्यक्षों के नाम के साथ उनकी बड़ी तस्वीर बनाकर भवन परिसर में लगाना चाहिए। राज्य आंदोलन में भी समाज के सदस्यों ने महती भूमिका निभाई।
*कार्यक्रम का संचालन सहसचिव पं. रज्जन अग्निहोत्री ने किया।*

इस अवसर पर अध्यक्ष पं. अरूण शुक्ल, सचिव पं. सुरेश मिश्र, उपाध्यक्ष पं राघवेन्द्र मिश्र, सहसचिव पं. रज्जन अग्निहोत्री, सहसचिव पं. गौरव शुक्ल, पं. राकेश शुक्ल (कानपुर), पं. विद्याशंकर शुक्ल, पं. राजकुमार शुक्ल (रवि नगर), पं. राजेश कुमार शुक्ल, पं. अवधेशचन्द्र शुक्ल, पं. प्रशांत शुक्ल (रविनगर),  पं. दीपक शुक्ल (भाटापारा), पं.अनुपम शुक्ल, पं.अनुराग शुक्ल, पं. वैभव शुक्ल,   पं. राहुल शुक्ल (मोंटी), पं. अभिषेक शुक्ल, पं. अमिताभ शुक्ल, पं. आशुतोष शुक्ल, पं. अनिरूद्ध शुक्ल, पं. अभिनीत शुक्ल, पं. अभिनव शुक्ल, श्री विशेष शाह,  कु. अनुष्का शुक्ला, श्रीमती अहिल्या शुक्ला,श्रीमती शशी शुक्ला, श्रीमती नीलिमा शुक्ला, श्रीमती मोनिका शुक्ला, श्रीमती लता शुक्ला, श्रीमती विभा शुक्ला, श्रीमती सीमा शुक्ला, श्रीमती रीचा शुक्ला, श्रीमती आकृति शुक्ला, श्रीमती शैल द्विवेदी (इंदौर), श्रीमती सरोजनी बाजपेई (इंदौर), पं. राजकुमार अवस्थी, पं. प्रकाश चंद्र अवस्थी, पं. शशिकांत मिश्र, पं. चन्द्रिका शंकर बाजपेयी, पं. अनिल शुक्ल, पं. गिरजाशंकर दीक्षित, पं. ज्ञानशंकर बाजपेयी, पं. प्रभात पाण्डेय, पं. अजय अवस्थी, पं. प्रशांत तिवारी, पं. राजेश त्रिवेदी, पं. इन्द्र कुमार तिवारी, पं. विजय शुक्ल, पं. विमल शुक्ल, पं. सुशील तिवारी, पं. ललित शुक्ल, पं. एन. एल. शुक्ल, पं. एस.एस.त्रिवेदी, पं. अमित बाजपेयी, श्रीमती अर्चना मिश्रा, श्रीमती सरिता दीक्षित, कोमल शुक्ला (कानपुर) आदि उपस्थित रहे।

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