
आज विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर द्रोण महाविद्यालय में एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसकी मुख्य अतिथि परम सम्माननीय डॉ विनय कुमार पाठक जी पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग एवं वर्तमान में थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार के कुलपति, अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यक्रम की अध्यक्षता द्रोण महाविद्यालय के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक पांडे जी कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ गजेंद्र तिवारी शिक्षाविद, समन्वयक,अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद श्री रमेश चंद्र श्रीवास्तव जी पूर्व आईएसएस अधिकारी साहित्यकार एवं समाजसेवी तथा स्मृति जैन समाजसेवी भाजपा नेत्री, द्रोणा महाविद्यालय के सचिव मीनू पांडे प्राचार्य कुलदीप द्विवेदी एवं मानसी गोवर्धन जी उपस्थित थे। डॉ विनय कुमार पाठक जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज विश्व विकलांग दिवस है साहित्य विकलांग विमर्श से महत्वपूर्ण स्थापना की है आप लोगों को आनंद मिश्रित आश्चर्य होगा कि विकलांग विमर्श की गंगा बिलासपुर से प्रारंभ हुई है अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद बिलासपुर में चेतना जागृत करने का बीड़ा उठाया है डॉक्टर द्वारिका प्रसाद अग्रवाल उसके पुरोधा और डॉक्टर विनय कुमार पाठक इसके प्रवर्तक के रूप में प्रस्थापित है इन दोनों की जुगलबंदी ने निशक्त चेतना स्मारिका के सात भाग प्रकाशित करके तथा देश में दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ लगभग दो दर्जन से अधिक शोध संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित करके जो चेतना जागृत की है उसके परिणाम स्वरूप आज पूरे देश में अनेक विश्वविद्यालय , महाविद्यालय से शोध कार्य हो चुके हैं और
अनेकानेक गतिमान है इस तरह स्त्री, दलित और आदिवासी विमर्श के बाद 21वीं सदी के दस्तक के साथ लिंग और जाति से रहित विशुद्ध मानवता का दृष्टिकोण पर आधारित यह विमर्श उत्कर्ष को स्पर्श कर रहा है विकलांग विमर्श को प्रतिष्ठित करने के समांतर अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद ने 65 शल्य चिकित्सा शिविर में साथ निशुल्क कृत्रिम हाथ पर प्रदान करना और प्रथम बार विकलांगों का सामूहिक विवाह और परिचय सम्मेलन संबंधित कर इस परिषद ने अनेक
कीर्तिमान स्थापित किए हैं जिसमें गीता देवी रामचंद्र अग्रवाल विकलांग अस्पताल एवं अनुसंधान निशुल्क सेवा केंद्र का बिलासपुर में 4:30 करोड़ की लागत से निर्मित है आज जो चेतना पूरे विश्व में दृष्टिगत हो रही है उसकी पृष्ठभूमि में इस परिषद के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता । विकलांग विमर्श दशा और दिशा विकलांग विमर्श की आचरण संहिता है जिसका मराठी और बंगाली अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है। सभी अतिथियों ने अपने मंतव्य रखें जिसमें डॉ.गजेंद्र तिवारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस समावेशिता की दिशा में एक कदमआज, 3 दिसंबर को, हम अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाते हैं। यह दिन हमें विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनकी समावेशिता के बारे में जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है।विकलांगता एक ऐसी स्थिति है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, चाहे वह किसी भी उम्र, जाति, या धर्म का हो। यह एक सामाजिक और आर्थिक चुनौती है, लेकिन यह एक अवसर भी है कि हम अपने समाज को अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण बना सकें।विकलांग व्यक्तियों को अक्सर भेदभाव, असमानता, और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। उन्हें शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, यह भी सच है कि विकलांग व्यक्तियों में अद्वितीय क्षमताएं और प्रतिभाएं होती हैं, जिन्हें पहचानने और विकसित करने की आवश्यकता है। रमेश चंद्र श्रीवास्तव जी ने कहा कि विकलांगों को सहानुभूति की बजाय समान अनुभूति दें जिससे वे भी हमारी तरह कंधे से कंधा मिलाकर समाज मैं अच्छा काम कर सकें
और अपने कार्यकाल के दौरान एक अनुभव साझा किया एक प्रेरणा से एक विकलांग व्यक्ति आज दिल्ली में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत है । स्मृति जैन मैडम ने कहा कि , हम विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों का समर्थन करते है आइए, हम सब मिलकर एक समावेशी समाज बनाने के लिए काम करें, जहां हर व्यक्ति को सम्मान और अवसर मिले, चाहे उनकी क्षमता कुछ भी हो। कार्यक्रम का संचालन गुप्ता एवं आभार प्रदर्शन संस्था की प्राचार्य मानसिक गोवर्धन ने किया ।