कोरबा जिले के इस गांव में ‘पानी’ बना अभिशाप : लोगो की हड्डियां हो रही टेढ़ी- मेढ़ी… शरीर हुआ विकृत, नहीं हो रही युवक- युवतियों की शादी, लगा खुशियों में ग्रहण*
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*कोरबा/पाली:-* क्या आप सोच सकते हैं कि कोई गांव ऐसा भी हो सकता है जहां के अधिकतर लोगों के हड्डियों में विकृति हों और जहां बच्चे जवान होने के बाद 40 वर्ष की आयु पार करते ही सीधे बूढ़े हो जाते हों और जहां लोग शादी के लिए वर- वधु को तरसते हों? यकीन नहीं होता ना, लेकिन ये कोई कल्पना नहीं बल्कि एक कड़वी हकीकत है। महुआपानी में स्थितियां ऐसी ही हैं। जिससे इस गांव के लोगो के जीवन में भूचाल सा आ गया है।
यह कहानी है कोरबा जिले के पाली विकाखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत डोड़की के आश्रित ग्राम महुआ पानी का जहां वर्तमान लगभग 35 घरों के परिवार वाला एक छोटा सा गांव है। कई अभावों के बावजूद डेढ़ दशक पहले तक यह गांव खुश रहना जानता था। लेकिन उसके बाद जैसे इस गांव की खुशियों को ग्रहण सा लग गया। गांव बिस्तर और बैसाखियों पर आने लगा। धीरे-धीरे लोगों की कमर झुकने लगी और अब वे सीधे खड़े होने में असक्षम होने लगे। लोगों के पैर टेढ़े होने लगे। दांत पीले होने और झड़ने लगे तथा लोगों को खुद को घसीट कर आगे बढ़ने की नौबत आने लगी। 15 वर्षों के दौरान अब इस गांव के एक तिहाई लोग रीढ़, हाथ- पांव की हड्डियों में विकृति के शिकार हो गए है। 30 से अधिक उम्र के लोगो के जोड़ो में दर्द रहता है और 40 की आयु पार करते ही लोग बूढ़े हो चले हैं। किशोरावस्था में ही बालक- बालिकाओं के दांतो में पीलापन, दांत झड़ना प्रारंभ हो गए हैं। गांव के लोगों ने बताया कि पानी में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से यह विकृति आ रही है। पहले जब यह विकृति शुरू हुई तब गांव वालों को लगा कि उनकी ये हालत दैवीय प्रकोप की वजह से है। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि हेण्डपम्प से निकलने वाले फ्लोराइड युक्त पानी की वजह से उन्हें समस्या हो रही है। यहां हैंडपंप से निकलने वाले पानी में फ्लोराइड की अधिकता है। जिसके सेवन से लोगों की टेढ़ी हो चुकी हड्डियां तो सुधारी नही जा सकती, लेकिन आगे की पीढ़ी को इस स्थिति से बचाने प्रशासन की ओर से आज पर्यन्त कोई सार्थक पहल नही किया जा सका है। चौका देने वाली बात ये है कि जिस फ्लोराइड युक्त पानी को पीते रहने की वजह से इस गांव की एक तिहाई आबादी विकृति की दंश झेल रहे है। उसी फ्लोराइड से युक्त हैंडपंप का पानी पीने को ग्रामीण अब भी मजबूर हैं। गांव में 3 हैंडपंप काम कर रहा है जिसे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने लगा रखा है, उसी के पानी को पीकर गांव के लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं। क्योंकि यहां के निवासियों के पास प्यास बुझाने के लिए दूसरा और कोई विकल्प नही है। नतीजतन गांव विकृति का शिकार हो चला है। पहले लोग कुएं और नदी का पानी पी रहे थे। इसके बाद सरकारी हैंडपंप लगा। इसके पानी में फ्लोरोसिस की मात्रा इतनी अधिक थी कि उसने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। यहां अब लगभग हर घर के लोगों की हड्डियों में खराबी है। चलने-फिरने में पूरी तरह से असमर्थ खाट में पड़े गांव के 45 वर्षीय बाबूलाल बताते हैं कि 3 साल के अंदर ही उसके कमर में दर्द शुरू हो गया। धीरे-धीरे कमर झुकने लगी और अब वे सीधे खड़े नहीं हो पाते न ही चलफिर पाते है। गांव के 40 वर्ष से अधिक के लोगों का जीवन लकड़ी के सहारे चल रही है। बीमारी के अत्यधिक प्रभाव के कारण गांव के बुजुर्ग चल तक नही पाते। उन्हें उनके बच्चे और नाती- पोते ही नित्यकर्म करवाते और खाना तक अपने हाथों से खिलाते है। अब तो आलम यह है कि इस गांव के लोगों में शारीरिक विकृति के कारण युवक- युवतियों का विवाह भी नही हो पा रहा है। लोग इस गांव में अब रिश्ता ही नही करना चाहते। जिसके कारण यहां के लोग अब धीरे- धीरे गांव छोड़ते जा रहे है।
*पीएचई विभाग की कार्ययोजना संदेह में*
भयानक त्रासदी से पीड़ित इस गांव को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने पीएचई ने मुंह मोड़ रखा है। क्योंकि केंद्रीय योजना जल जीवन मिशन से हर गांव को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने पीएचई विभाग की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में है। आखिर इस गांव को स्वच्छ जल का अधिकार नही है क्या? आखिर कहां है पीएचई की कार्ययोजना?
*सरपंच- सचिव भी उदासीन*
ग्रामीण जनता को स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता कराने ग्राम पंचायतों को भी शासन द्वारा लाखो की राशि दी जाती है, लेकिन यहां गत तीन पंचवर्षीय से सरपंची कर रहे पति-पत्नी सरपंच व वर्तमान में राजेन्द्र सिंह भी महुआपानी गांव से जैसे मुह मोड़ लिए है। यहां के सरपंच- सचिव ने मिलकर जहां गांव की जनता को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के अधिकतर कार्य कागजों पर कराए है। वहीं धरातल पर महुआपानी के निवासीजन स्वच्छ जल को तरस रहे है।
*फ्लोराइड पानी से निजात दिलाने ठोस पहल की जरूरत*
जिस तरह से नई सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में पानी के पीने से ग्रामीणों के किडनी की बीमारी के शिकार होने की जानकारी मिलने के बाद वहां के लिए अलग से योजना बनाई। उसी तरह से कोरबा जिले के महुआपानी में फ्लोराइड की वजह से फ्लोरोसिस से ग्रसित ग्रामीणों को राहत दिलाने ठोस योजना बनाने अति आवश्यकता है।
