हिंदी के मूर्धन्य विद्वान कवि एवं आलोचक अशोक कुमार झा नहीं रहे

रायपुर:7 फरवरी,हिंदी के मूर्धन्य विद्वान कवि एवं आलोचक आदरणीय अशोक कुमार झा नहीं रहे। आज ब्रह्ममुहुर्त के ठीक पूर्व 2.45 बजे मेकाहारा रायपुर में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।कल ही रात ग्यारह बजे उन्हें गंभीर अस्वस्थता की दशा में मेकाहारा में दाखिल कराया गया था। प्रसिद्ध आलोचक प्रमोद वर्मा के अभिन्न मित्र रहे स्मृतिशेष अशोक कुमार झा की रचनाएं 80 के दशक में धर्मयुग, सारिका , पहल जैसी अनेक श्रेष्ठ पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होती रहीं हैं। सारिका में भाषांतर के अंतर्गत विश्व की अनेक भाषाओं की कहानियों के अनुवाद से उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली।कलाधानी रायगढ़ के म्युनिसिपल हायर सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे अपने पुत्र के पास दुर्ग में रह रहे थे। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

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