
महाराणा प्रताप महाविद्यालय उस्लापुर में महाराणा प्रताप की जयंती धूमधाम से मनायी गयी तथा महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया । कार्यक्रम का शुभारंभ प्रबंध निदेशक डॉ.सचिन यादव , प्राचार्य डॉ. अनिता सिंह के करकमलों से महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर डाॅ.सचिन यादव ने अपने उद्बोधन में महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र को जीवन में उतारने की सीख छात्रों को देते हुए उनके पद चिह्नों पर चलने के लिए छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया ।भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अपना नाम दर्ज कराने वाले वीर शिरोमणि, राष्ट्रनायक, महाराणा प्रताप भारतीय जनमानस के हृदय में एक प्रेरणा नायक के रूप में विद्यमान है। स्वतंत्रा समर में महायोद्धा के रूप में उन्होंने जो त्याग, बलिदान का दृष्टांत प्रस्तुत किया है वह विश्व में अप्रतिम है। महाराणा प्रताप भारतीय अस्मिता के अमर प्रतिमान हैं।
प्राचार्य डॉ. अनिता सिंह ने महाराणा की वीरता को कविता के माध्यम से व्यक्त किया- ” राणा तेरी वीरता को कोटि-कोटि प्रणाम है।” तत्पश्चात महाराणा प्रताप की वीरता से छात्रों को अवगत कराते हुए कहा -महाराणा प्रताप का शौर्य, त्याग व राष्ट्रीयता की उदात्त भावना का ही परिणाम रहा कि अरावली व मेवाड़ भारतीय स्वतंत्रता समर का अमर प्रतिमान बन गया ।महाराणा प्रताप कालीन मेवाड़ संपूर्ण भारतवर्ष की आत्मा के प्रतीक के रूप में प्रस्थापित था तथा उसकी पराजय से राष्ट्र की पराजय व विजय से भारत राष्ट्र के विजय का उद्घोष प्रतिध्वनि होता था ।
इस अवसर पर महाविद्यालय द्वारा कविता एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें अत्यधिक छात्रों ने सहभागिता की । विजेता छात्रों को पुरस्कृत कर उन्हें प्रोत्साहित किया गया। महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं अत्यधिक संख्या में उपस्थित थे।